अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये,
अब जीना सीखो ओरो के उपकार के लिए,
तू बहुत कमा कर लाया,है ग्रस्ति धर्म निभाया,
दूजे का हक़ नहीं मारा अपनी मेहनत का खाया,
कुछ धर्म पुण्य की जवाला उस पार के लिए,
अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये
तूने पाई पाई जोड़ी कुछ कमी कही न छोड़ी,
पर हिट के लिए कभी भी न खर्ची फूटी कोड़ी,
तुम कुछ तो देकर जाओ संसार के लिए,
अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये,
ये जग है एक सराये कोई आये कोई जाए,
इसका दस्तूर पुराण कोई सदा न टिकने पाए,
मेहमान यहाँ है सारे दिन चार के लिए,
अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये
सब कुटिल काम न छोड़ो मनवता से दिल जोड़ो,
इस जग को प्यार में बांधो नफरत से मुख न मोड़ो,
गजेसिंह श्याम का पूजा उधार के लिए,
अब तक तो जीय तो खुद के परिवार के लिये