तर्ज - ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर
ओ बाईसा अब तो हमको बाबोसा के दर्श करा दो ना,
दर्श के प्यासे नैन बावरे, प्यास बुझा दो ना,
दर्श करा दो ना,
ओ बाईसा अब तो हमको....
बाबोसा के दर्श बिना अब मिलता नही कही चैन,
प्रीत में पागल बनकर मैं तो , रस्ता निहारु दिन रैन,
कैसे मिलेंगे बाबोसा हमको, रस्ता दिखा दो ना
दर्श करा दो ना,
ओ बाईसा अब तो हमको....
बाबोसा से रिस्ता मेरा, गहरा सागर से,
मिलेंगे बाबोसा मुझको, मन उम्मीदों पे,
रह न सकू मैं दूर एकपल भी, दूरी मिटा दो ना,
दर्श करा दो ना,
ओ बाईसा अब तो हमको....
बाईसा गर आप बुलाओ, दौड़ वो आयेंगे,
दिलबर बाईसा की कृपा से, दर्श को पायेंगे,
बाबोसा से अर्जी बाईसा, आप लगा दो ना,
दर्श करा दो ना,
ओ बाईसा अब तो हमको....