मोको लाग्यो रे सतसंगी ,
थारो भाग जाग्यो रे मौको लाग्यों रे
गली गली हरी चर्चा होवे ,
जाणो सतगुरु आयो रे ,
भारत भूमि अमरत बरसे ,
बहुत ही आनन्द छायो रे ,
मोको लाग्यो रे सतसंगी ,
थारो भाग जागयो रे ,
मौको लाग्यों रे ।
देश देश का हरी जन आया ,
भारी मेलो लाग्यो रे ,
मुक्ति का दरवाजा खुली गया ,
अब तो कलयुग भाग्यो रे ,
मोको लाग्यो रे सतसंगी ,
थारो भाग जागयो रे ,
मौको लाग्यों रे ।
भूल्या भटक्या जीव जो आया ,
अब तो अवसर आयो रे ,
तीरथ बरत तो सब ही करिया ,
अब तो गंगा नहाओ रे ,
मोको लाग्यो रे सतसंगी ,
थारो भाग जागयो रे ,
मौको लाग्यों रे ।
प्रेषक प्रमोद पटेल
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