जय जय शंकर जय शिव शंकर जै साईं गोपाला,
तेरे रूप उनके हो बाबा तू गंगा की धरा,
साई बाबा साई बाबा...
तेरे नीम की मीठी छाया लाखो भक्तो ये सुख पाया,
बाबा के कलश का जल जो पीते दुःख उनको फिर कभी न छूटे,
लेके बभूति अंग लगा ले होजा तू मतवाला,
साई बाबा साई बाबा...
इक भगत की घोड़ी खो गई,
बाबा से पूछा पल में मिल गई,
मरते मरते वेद वो आया,
माफ़ी मांगी ज़िंदगी पाई,
तू भी उसकी शरण में आजा बाबा उसे भुलाता,
साई बाबा साई बाबा...
आई दिवाली रोइ बिटिया बाबा ने करदी जगमग कुटिया,
पानी तेल में बदल गया था फूलो से आंगन महक गया था,
बाबा का जादू तू भी देख ले बोल जो से बाबा,
साई बाबा साई बाबा...
पर्वत से इक साधू आया साई को डोंगी बताया,
ब्रह्म रूप देखा बाबा का अभिमानी साधु पश्टया,
पाँव पकड़ कर रोने लगा वो कहने लगा साई बाबा,
साई बाबा साई बाबा...
रोज करिश्मे आज भी होते,
बाबा सबको दर्शन देते,
बाबा की ठंडी आज भी पक्ति बरसो से धुनि आज भी जलती,
आज भी बाबा जाग रहा है बाबा तुझे भुलाता,
साई बाबा साई बाबा...