पूछते हो मेरे साई कहा है,
कही बिक्शा वो मांगते मिले गे,
क्या किसी ने नीम वृक्ष के निचे बैठे धुनि रमाते मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है,
उनको ढूंढा शिरडी पूरी में द्वारका माई में बैठे होंगे,
गुरु वार को पालकी पे बैठ के बाबा चावड़ी को योदे मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है......
हाथ में अपने लेके कटोरा नंगे पाँव वो फिरता होगा,
या कहे रूप अपना बदल के सेवा भगति वो करते मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है....
कभी पड़ते होंगे रामायण कभी कुरान सुनते होंगे,
गुरु स्थान में पत्थर पे बैठ के ज्ञान पाने से सुनाते मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है....
ईद हो या शिरडी में होली साई सजाते होंगे रंगोली,
कही पानी के दीप जला के वो दिवाली मनाते मिलेंगे,
पूछते हो मेरे साई कहा है.....
सत्संग के है साई दीवानी साई कीर्तन में बैठे होंगे,
क्या कही पे वो खिचड़ी बना के भंडारा लगते मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है,
उन को ढूंढो गे भवरा कहा पर अपने मन को जरा टटोलो,
श्रद्धा में ही साई वसे है सबुरी से भूलते मिले गे,
पूछते हो मेरे साई कहा है,