कान्हा तेरी तस्वीर सिरहाने

कान्हा तेरी तस्वीर सिरहाने रख कर सोते है,
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे कान्हा पिग्लो गे,
कान्हा तेरी तस्वीर सिरहाने रख कर सोते है,

जाने कब आ जाए हम आंगन रोज बुहारे,
अपने इस छोटे से घर का कोना कोना सवारे,
जिस दिन नहीं आते हो हम जी भर कर रोते है.
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे कान्हा पिग्लो गे,

यही सोच गबराये क्या हम इस के हकदार है,
जितना मुझको प्यार है क्या तुम को भी प्यार भी प्यार है,
यही सोच कर आँखे मसल मसल कर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे कान्हा पिग्लो गे,

हर आहट पर लगता है मेरा कान्हा घर आया है,
हर बार मेरा दिल टुटा मुझे कितना तरसया है,
नींद ना आये करवट बदल बदल कर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे कान्हा पिग्लो गे,

इक दिन ऐसी नींद खुले जब तेरा दीदार हो,
बनवारी फिर अखियां मेरी हो जाये विकार हो,
बस इस दिन के खातिर हम तो दिन भर रोते है,
यही सोच कर अपने दोनों नैन भिगोते है,
कभी तो तस्वीर से निकलोगे कभी तो मेरे कान्हा पिग्लो गे,
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