गोपी प्रेम की ध्वजा,गोपी प्रेम की ध्वजा
1.जिंन गोपाल कवियों बस अपनें,
उर धरि श्याम भुजा
गोपी प्रेम....
2.सुकमुनि व्यास प्रसंसा कींनी,
ऊधौ संत सराही
गोपी प्रेम....
3.भूरि भाग्य गोकुल की बनिया,
अति पुनीत भव मांही
गोपी प्रेम....
4.कहा भयो जो विप्रकुल जनयो,
जो हरि सेवा नांही
गोपी प्रेम....
5.सोई कुलीन दास परमानंद,
जो हरि सम्मुख धाई
गोपी प्रेम की ध्वजा,गोपी प्रेम की ध्वजा
गोपी प्रेम....