सताओ ना हमें लोगों हमें दिल की बीमारी है
हमारा वेद दुनियां में वो बाँके बिहारी है
उसी ने दर्द दे कर मेरा ये हाल कर डाला
लगाया रोग अब ऐसा मुझे बेहाल कर डाला
दवा देगा वही आ के उसी की इंतज़ारी है
मेरे अपनों में है मोहन मेरे सपनों में हैं मोहन
जिधर भी देखती हूँ मैं नज़र आते हैं मनमोहन
उसी के नाम की देखो चढ़ी मुझको खुमारी है
यहीं गम है की अब तक देखने वो क्यूँ नहीं आया
हुयी क्या भूल हमसे श्याम ने जो मुझको बिसराया
नहीं मारा नहीं छोड़ा गजब का वो शिकारी है
दिखा जलवा लगा कर रोग जाने कहाँ गया दिलवर
ना दिल की दिल में रह जाये ज़रा तो देख लो आ कर
नब्ज एक बार तो देखो यही विनती हमारी है