दोहा – मेरे ऐब गुनाह ना वेख मेरे बाबा,
नी मैं ऐबा नाल भरपूर,
चंगिया हर कोई गल लांदा,
नी मेनू मंदे नु कर मंजूर।
बाँह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए,
जग माया के इस दरिया में,
जग माया के इस दरिया में,
डूब ना जाए,
बांह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए।।
जिनको अपना मान के,
नाज़ किया था कितना,
दुःख आया तो,
साथ रहा ना कोई अपना,
दुःख आया तो,
साथ रहा ना कोई अपना,
बस इक आस बची बाबा,
बस इक आस बची बाबा,
कहीं टूट ना जाए,
बांह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए।।
पैसा शोहरत नाम और इज्जत,
जोड़ रहा था,
ना जाने किस,
अंधी दौड़ में दौड़ रहा था,
ना जाने किस,
अंधी दौड़ में दौड़ रहा था,
पाप ही पाप भरी गागर ये,
पाप ही पाप भरी गागर ये,
कहीं फुट ना जाए,
बांह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए,
अब भी हार के बैठ गया,
तेरे इन चरणों में,
‘लहरी’ आजा बस जा,
मेरे इन नैनो में,
‘लहरी’ आजा बस जा,
मेरे इन नैनो में,
आजा रे आँखे कबतक मेरी,
आजा रे आँखे कबतक मेरी,
नीर बहाए,
बांह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए,
बाँह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए,
जग माया के इस दरिया में,
जग माया के इस दरिया में,
डूब ना जाए,
बांह पकड़ ले साँवरा,
कही छूट ना जाए,