भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

ओढ़ो ओढ़ो म्हारी माता रानी आज
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए
ओढ़ो ओढ़ो म्हारी कुलदेवी आज
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

इ चुनड़ को पोत है मइया जयपुर से मंगवायो
भगतां कै घर बनी चुनड़ी,सांचो माल लगायो
प्यारो लागे चटक रंग लाल
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

सोने चांदी का तार कढ़ाकर लंपि नै जड़वाई
साँचे मोत्या री लड़ियाँ नै चारु मेर लगाई
बीच तारा री सजी रे बारात
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

ओढ़ चुनड़ी बैठी मइया,कितनी प्यारी लागे
तीन लोक में मइया थारी शक्ति का डंका बाजे
रया देव फूल बरसाय
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

म्हारी मइया जी कै भगतो नजर नही लग जावै
लूड़ राई मिल कर वारो जद हीबड़ो सुख पावे
जावै राम बलिहारी आज
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

ओढ़ो ओढ़ो म्हारी माता रानी आज
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए
ओढ़ो ओढ़ो म्हारी कुलदेवी आज
भगत थारी चुनड़ ल्याया ए

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