साई के दरबार में मुश्किल हो जाएगी हल,
आज नहीं तो कल,
काहे की चिंता काहे टेंशन घर बैठे बाबा भेजते है पेंशन,
ना हो यकीन तो साथ मेरे तू शिरडी धाम को चल,
आज नहीं तो कल,
इतना मिलेगा समभाल नहीं पायेगा,
दुगना तिगना होगा चोगना हो जायेगा,
बात मेरी पे गौर से तुम को करना पड़े का अम्ल,
आज नहीं तो कल...
दवारका माई में साई संकट मिटाते है,
वरमे के जैसे तुम को भी बाबा मन चाहा देंगे फल,
आज नहीं तो कल,