झूठी गर्दन हिलाते हो कीर्तन में क्यूं

झूठी गर्दन हिलाते हो कीर्तन में क्यूं ,
भक्ति करने को सच्चा जिगर चाहिए ,
खींचा दौड़ा - चला आएगा सांवरा,
तेरी आंहो में इतना असर चाहिए ,

कामयाबी की सीढ़ी अगर तुम चढ़े,
होंगे दुश्मन कई रास्ते में खड़े ,
हार जाएंगे वो जिनकी टेढ़ी नजर,
उस मेहरबां की सीधी नजर चाहिए,

दिल से जो श्याम का श्याम उसका बना,
भक्ति निष्काम हो काम उसका बना ,
कौन कहता है सांवरिया आता नहीं ,
तुझको भिलनी के जैसा सब्र चाहिए ,

पाप करके तू खुद को भला मानता ,
कितने पानी में है तू वो सब जानता ,
जो पलटती है पल - पल में दुनिया है वो,
इससे लड़ने का तुझको हुनर चाहिए ,

है समय कर ले पापों का तू खात्मा ,
काल बंधन से अपनी छुड़ा आत्मा ,
" नरसी " तन का ना धन का भरोसा कोई,
करनी आगे की तुझको फिक्र चाहिए ,


सभी श्याम प्रेमियों को .. लेखक एवं गायक ..
नरेश " नरसी " ( फतेहाबाद ) की ओर से ..
!! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप सिंघल ( जीन्द वाले )
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