चोरी कर तो डोले श्याम मोते सूधो ना बोले,
जब ही देख ले सोनी बाखर घर की सांकर खोलें ।
श्याम मोते सूधो न बोले....
ग्वाल बाल ले घर में आवे माखन माट टटोलै।
श्याम मोते सूधो न बोले
दधि मेरो खाय मटुकिया फोरै ।
रस में बिष कूं घोरै।। श्याम मोते सूधो न बोले
जो मै पकरन याकूं भाजी।
बैया पकर झकझोरै।। श्याम मोते सूधो न बोले
छोडूं गांव तेरो बृजरानी।
तुमते सांची बोलैं।। श्याम मोते सूधो न बोले
नारायण नटखट नदनन्दन।
कहा जाने प्रीत की मोलै।। श्याम मोते सूधो न बोले