दोनों एक दूजे के दिल में रहते हैं
मैं और मेरा श्याम
कभी जुदाई एक पल भी न सहते हैं
मैं और मेरा श्याम
पिता पुत्र का नाता जग से न्यारा है
मैं उसको और श्याम प्रभु मुझे प्यारा है
एक दूजे बिन दोनों अधूरे रहते हैं
मैं और मेरा श्याम
हर ग्यारस को श्याम मुझे बुलवाते हैं
बैठ कीर्तन हम दोनों बतियाते हैं
एक दूजे से मन की बातें कहते हैं
मैं और मेरा श्याम
श्या प्रभु को रसिया छलिया लोग कहें
दुनिया वाले मेरी भक्ति को ढोंग कहें
बेमतलब लोगों के ताने सहते हैं
मैं और मेरा श्याम
वो दानी करुणा का सागर करुणा कर
मुझ जैसे पापी याचक को अपना कर
सम्बन्धो के किले कभी नहीं ढ़हते हैं
मैं और मेरा श्याम