कैसे तुम्हे मनाऊँ

क्यों मुझसे तुम खफा हो कैसे तुम्हे मनाऊँ
रो रो के मेरे सांवरे दिल का हाल सुनाऊँ
क्यों मुझसे तुम खफा हो ...........

मेरे अपनों ने ही छीना दिल का सुकून मेरे
कितने हैं घाव दिल में देखो तो श्याम मेरे
कैसे इन्हे दिखाऊं किसको मैं ये बताऊँ
कैसे इन्हे छिपाऊं किसको मैं ये बताऊँ

जब जब किया भरोसा आशा ही दिल की टूटी
कैसे तुम्हे दिखाऊं टूटी जो दिल की डोरी
बिगरे जो दिल के टुकड़े कैसे मैं जोड़ पाऊं

बड़े शोक से रुलाया हँसता हुआ ये चेहरा
तू ही मुझे हंसा दे है ऐतबार तेरा
रट हुए इस दिल को कैसे मैं अब हंसाऊं

टुटा जो दिल शिखा का तू ही उसे संभाले
चरणों से अब उठाकर मुझको गले लगा ले
दुनिया को छोड़ कर मैं तुमको ही जीत जाऊं
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