कान्हा पिचकारी मत मारेे

कान्हा पिचकारी मत मारेे, चूनर रंग बिरंगी होए,
रंग बिरंगी होए के चूनर रंग बिरंगी होए,
कान्हा पिचकारी मत मारे.....

चूनर नई हमारी प्यारे, हे मनमोहन मुरली वाले,
इतनी सुनले नंद दुलारे,
पूछेगी वो सास हमारी कहां से लयी भिगोए,
कान्हा पिचकारी मत मारे.....

सबको ढंग भयों मतवारो, दुखदाई है फागुन वारो,
कुलवंती को ओगुन वारो,
मार्ग मेरी अब मत रोके मैं समझाऊं तोए,
कान्हा पिचकारी मत मारो.....

छोड़ दई रंग की पिचकारी, हस हस के रसिया बनवारी,
भीग गई है सब ब्रज नारी,
ग्वालिन ने हरि को पीतांबर छोड़ो मन में होय,
कान्हा पिचकारी मत मारेे, चूनर रंग बिरंगी होए,
रंग बिरंगी होए के चूनर रंग बिरंगी होए,
कान्हा पिचकारी मत मारे.....
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