शेयर- श्याम राधे कभी ना थे, थे बस राधे श्याम,
जन्म जन्म के भाग्य जगादे, इक राधा को नाम,
प्यारे कान्हा बजाये मधुर बाँसुरी, दिल राधा का जिससे चले,
धीरे धीरे पवन नाचे राधे का मन,जैसे नदियाँ में नइया चले,
आज सपनोँ की नगरी में खो जायेगी,
आज कान्हा पीया की वो हो जायेगी,
ऐसी लगी राधा को महाराज की,
जैसे प्यासे को पानी लगे,,,,,,,
कोऊ मालिक है और कोऊ मोहताज़ है,
इसमें राधा कान्हा की कहा बात है,
राधा कान्हा में गुंम गाये उसके ही गुण,
जैसे राही को मंज़िल मिले,,,
आ सांवरिया वो कब से तेरी चाह में,
नैन बन के बिछी है तेरी राह में,
तेरे मन का दिया जल रहा है पीया,
वैरी चन्दा जले ना जले,,,,
पंडित देव शर्मा
श्री दुर्गा संकीर्तन मंडल
रानिया(सिरसा)
७५८९२१८७९७