साथी हारे का तू मुझको भी जताने आजा

साथी हारे का तू मुझको भी जताने आजा,
तू मेरी लाज को लूटने से बचाने आजा,

रिश्तो के खेल से रिश्तो से ही हारे है,
अपने के बीच में रह कर भी बेसहारे है,
कैसे जियुगा यु घुट घुट के तमाशा बनके,
कैसे पियुगा मैं अस्को को कन्हैया हस्के,
मैं हु तेरा ये ज़माने को बताने आजा,
तू मेरी लाज को लूटने से बचाने आजा,

मेरी लाचारी पे दुनिया भी सताती है मुझे,
ऐसे में बेबसी भी मेरी रुलाती है मुझे,
इस से पहले की ज़माने में हसी हो मेरी,
तेरे ऊपर भी उठी ऊँगली हो बदनामी तेरी,
अपनी मैया जी के वचनो को निभाने आजा,
तू मेरी लाज को लूटने से बचाने आजा,

हारे का साथ देते हो तुम सुना है हमने,
हार के ज़िंदगी से तुम को चुना है हमने,
आखिरी आस बस इस दिल में तेरी बाकि है,
तेरी रेहमत की इक नजर ही प्रभु बस काफी है,
मोहित की ज़िंदगी हाथो से सजाने आजा,
तू मेरी लाज को लूटने से बचाने आजा,
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