किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,
साहनु मिलियाँ नु हुन बड़ी देर हो गई,
किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,
तनु वृद्धावन विच भी मैं जाके देख्या,
कला कला कुंडा भी मैं खड़का के देख्या,
तनु लभ दी लाभोँदि मेरे सोहनियाँ ,
कदो शाम कदो रात ते सवेर हो गई,
किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,
हुन किहड़े नाल रास तू राचन्दा हॉवे गा,
दसी कीहदे लई तू मुरली बजनदा हॉवे गा,
एही सोच के मैं हकी बकी रह गई,
मेरे लेखा वाली कातो हेर फेर हो गई,
किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,
आजा चोरी चोरी मखन चुराण वलियाँ,
नाले सबना न लगिया निभौन वलियाँ,
तेरा मुख दिख जाए ते चन चढ़ जाये.
तेरे भजो साहनु कान्हा जी देर हो गई,
किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,
तेथो दूर नहीं श्याम तेरा रवि लोचना
छड़ बांगेया वालिया बोहता सोचना,
जड़ो सब कुछ ओहनू दिता सौंप वे,
फिर फिक्र च काह्नु जींद घेर हो गई,
किथे रेह्न्दे हो आज कल श्याम जी,