भरी सभा में इन बहनों का मान राखिए,
गोपाल मेरे इन वालों का कुछ ख्याल राखिए.....
अरे वह दुशासन अन्याई,
मैं बाल पकड़ धरती पर गिराई,
सर से उतरी साड़ी बिरन मेरी लाज राखिए,
गोपाल मेरे इन वालों का कुछ ख्याल राखिए.....
अरे वह दुर्योधन अन्याई,
मैं नंगी जांघों पर बैठाई,
इनके खून से तू मेरे बालों को बांधिऐ,
गोपाल मेरे इन वालों का कुछ ख्याल राखिए.....
अरे मैं पांच पति की नारी,
गर्दन सबने नीचे डारी,
मेरी साड़ी का गिरधारी तू पल्ला थामिए,
गोपाल मेरे इन बालों का कुछ ख्याल राखिए.....
अरे वह दुर्योधन अन्याई,
उसने फैसले की ठहराई,
मेरी तरफ से फैसले की टाल राखिए,
गोपाल मेरे इन बालों का कुछ ख्याल राखिए......