आराधना करता हूँ , मेरे श्या,म के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला , लखदातार के लिए,
है कलयुग के अवतारी ,तेरे नाम की महिमा भारी,
तेरे दर पे आन पड़ा हूँ , दर्शन का बन के भिखारी,
घुट घुट कर तरस रहा हूँ , दीदार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला......
स्वारथ ने मुझको घेरा ,लालच ने डाला डेरा,
प्रभु मोह माया में पड़कर , मैं भूल गया दर तेरा,
मुझे अब तो राह दिखादे, भव पार के लिए ,
मैंने रंगा केसरी चोला......
ओ बाबा शीश के दानी , तेरी शक्ति सबने जाणी,
प्यासी आँखों में भर दे , सूरत तेरी मस्तानी,
मेरा आवागमन मिटा दे, हर बार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला......
वो जीवन भी क्या जीवन ,जिसने दरबार न देखा,
वी स्वामी भक्त नहीं , जिसने माथा नहीं टेका,
खाटू में मुझे बसा ले , तेरे प्यार के लिए,
मैंने रंगा केसरी चोला......