लक्खा तारे तू मैनू क्यों ना तारेया,
दस दातिया मै तेरा की भी बिगाड़िया॥
जदो मेरी तकदीर बनाई सी,
तेरी कलम च मुकगी स्याही सी,
मेरी वारी तू क्यों मुखड़ा छुपा लया,
दस दातिया मै तेरा की भी बिगाड़िया......
तेरे तो छुपिया ना मेरिया हकीकता,
हुण हल कर मेरिया मुसीबता,
दाता तैनू मै अपना बना लिया,
दस दातिया मै तेरा की भी बिगाड़िया......
दाता मेरिया मुसीबता नु हल कर,
तेरी मर्जी है अज्ज भावे कल कर,
दर तेरे उत्ते डेरा मै लगा लया,
दस दातिया मै तेरा की भी बिगाड़िया......