हे श्याम मुझे इक बात बता कब मंत्र मिलन कोई खास बता,
ऐसा जीवन जियु कलयुग में कुछ देर बैठ कर पास बता,
हे श्याम मुझे इक बात बता ..........
जी में आता जो करता हु,
पछताता हु मैं डरता हु,
मेरा करना मेरा डरना तुझको आता क्या रास बता,
हे श्याम मुझे इक बात बता कब मंत्र मिलन कोई खास बता,
आहार भय निंद्रा कामो में खोया रहता हु आठ पहर,
व्यजनो में खोये इस मन से कर सकता हु क्या आस बता,
हे श्याम मुझे इक बात बता कब मंत्र मिलन कोई खास बता,
जीवन की काली रातो में,गबरारु पीठ दिखाऊ मैं,
ये खौफ कही कुछ खोने का मन को करता क्यों निराश बता,
हे श्याम मुझे इक बात बता कब मंत्र मिलन कोई खास बता,
गीता बाँची सब भेद पड़े,
मेरे सनसइन भेद खड़े,
संसयो को दूर भगाने को,
किस का मैं करू उपवास बता,
हे श्याम मुझे इक बात बता कब मंत्र मिलन कोई खास बता,