ऐसी करुणा करो किशोरी जाने या अनजाने में
वृंदावन में उम्र कटे और मौज मिले बरसाने में
ऐसी करुणा करो किशोरी
जीवन के पथ में अंधियारा मैंने अपने आप किया
काम क्रोध लालच में आकर हर पल मैंने पाप किया
उम्र कैद की सजा सूना दो पापो के हर जाने में
ऐसी करुणा करो किशोरी
अपनों ने संग छोड़ दिया है गैरो की अब आस नही
एक तुम्हारे सिवा किशोरी कुछ भी मेरे पास नही,
दर दर मारा भटक रहा हु इस बेदर्द जमाने में
ऐसी करुणा करो किशोरी
श्री हरिदास की प्यारी तुम हो करुना मई कहाती हो
दीन दुखी जो है दुनिया में उनका साथ निभाती हो
कहे अनाडी क्या दिकत है खत्री को अपनाने में
ऐसी करुणा करो किशोरी