आप संग हो मेरे और क्या चाहिये,
आप से ही तो मुझको साहरा मिला,
हो न हो कोई मुझको ये परवाह नहीं,
हाथ सिर पे जो मेरे तुम्हारा मिला..
अब ने चरणों में मुझको बिठा लीजिये,
सेवा मुझसे भी थोड़ी करा लीजिए,
मैं जो हु मौज में तेरी किरपा प्रभु,
तेरे दर से ही मुझको गुजारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिये,
आप से ही तो मुझको साहरा मिला,
नाम तेरे सिवा और लेता नहीं साथ मेरा कोई भी तो देता नहीं,
हार में जीत में तू ही रहता सदा मेरी नैया को भव से किनारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिये,
आप से ही तो मुझको साहरा मिला,
हाल यु देख कर भी न तरसाइये,
तुम को मेरी कसम है चले आइये,
दिल से सचिन का कही और लगदा नहीं,
जब मुझे रूप का ये नजारा मिला,
आप संग हो मेरे और क्या चाहिये,
आप से ही तो मुझको साहरा मिला,