पड़ा हूँ चौखट पे तेरी दे दे सहारा माँ,
मझधार में है कश्ती दे दे किनारा माँ,
बता दे मुझे माँ इतना नजर क्यों है तूने फेरी,
ममता के इस आंचल में नहीं है जगह क्यों मेरी,
बचपन का प्यार फिर से देदे दोबारा माँ,
मझधार में है कश्ती दे दे किनारा माँ,
ख़ुशी के दो फूल मांगू मैं भी तेरी भगियां से,
वो भी न दो तो कह दे चल जाऊ दुनिया से,
खो जाऊ ऐसे जैसे टुटा हुआ तारा माँ,
मझधार में है कश्ती दे दे किनारा माँ,
छुपाऊ क्या तुझसे मैया हाल मेरा जाने तू,
लालू बलजीत को भी देख पहचाने तू,
भोज सी ये ज़िन्दी अब नहीं है द्वारा माँ,
मझधार में है कश्ती दे दे किनारा माँ,