जलते भी गए,
कहते भी गए,
आज़ादी के परवाने,
जीना तो उसी का जीना है
जो मारना वतन पे जाने
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम
तेरी राहो में जान तक लूटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है
तेरे कदमो में हम भेंट अपने सरो की चढ़ा जायेंगे
कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई UP से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाए हैं हम
फूल हर रंग के आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही, पर लगन एक है
ज्योत से ज्योत दिल की जगा जायेंगे
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र,
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो कदम गैर का,
उस कदम का निशा तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आएगी अब सामने,
ठोकरों से उसे हम गिरा जाएंगे
सेह चुके है सितम हम बोहोत गैर के
अब करेंगे हर एक वार का सामना
झुक सकेगा ना अब सरफरोशो का सर
चाहे हो खुनी तलवार का सामना
सर पे बांधे कफ़न हम तो हसते हुए
मौत को भी गले से लगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन
फिल्म - शहीद(1965)