तू कर बंदगी और भजन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण धीरे धीरे ।
दमन इन्द्रियों का तू करता चला जा ।
तो काबू में आएगा यह मन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
सुने कान तेरे सदा वेद वाणी ।
तू कर भागवत का श्रवण धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
सफर अपना आसान करता चला जा ।
तो छूटेगा आवागमन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
तू दुनिया में शुभ काम करता चला जा ।
तू कर शुद्ध अपना चलन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
मिलेगा तुझे खोज जिसकी है तुझको ।
धरम से जो होगी लगन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
कदम नेक राहों पर धर्ता चला जा ।
मिटेगा यह आवागमन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
छडक जल दया का तू सूखे दिलों पर ।
बसेगा ये उजड़ा चमन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
लगा मुख को प्याला तू सत्संग वाला ।
मिटा देगा दर्द कुहन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
कोई काम दुनिया में मुश्किल नहीं है ।
जो करते रहोगे यतन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
दमन इन्द्रियों का तू करता चला जा ।
बना शुद्ध चाल चलन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...
गुरु सेवा तेरी, तेरी देश भक्ति ।
उठाएगी तेरा वतन धीरे धीरे ।
मिलेगी प्रभु की शरण...