क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का

क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का,
सुन के आया मैं आया नाम खाटू श्याम का,
क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का

जहां भी देखु चर्चा है तीन बाण धारी का,
लीले की असवारी का मोर मुकट धारी का,
क्या कहना मेरे बाबा के शृंगार का
क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का


भीड़ लगी रहती है हर दम बाबा तेरे दर पर,
सुबह शाम लगते है बाबा जैकारे तेरे घर घर,
यहा जो भी दीवाना खाटू श्याम का,
क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का

मरुखर में खाटू जैसी और जगह नहीं होनी,
तेरे मंदिर की चौकठ ही लगती मुझको सोहनी,
हर कोई भगत दीवाना तेरा धाम का,
क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का

सुन के नाम जगत में तेरा आया तेरे द्वार,
तुझसे आस लगाया हु करदो बेडा पार,
दर्शन चाहे जाकर खाटू धाम का,
क्या कहना मेरे बाबा के दरबार का
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