मैया को मनाता चल भगता,
तू ज्योत जगाता चल भगता,
तू सिर को झुकाता चल भगता,,
माँ के नाम को जपता चल भगता,
जय कार लगाता चल भगता,
मैया को मनाता चल भगता,
ऊंचे ऊंचे पर्वत देखो हरी भरी है घाटी,
ज्योत ज्वाला जले है भगतो बिना तेल बिन बाती,
तेरी ज्योति से ही मइया जग मग जग मग हो जाता,
मैया को मनाता चल भगता,
भोली भाली मइया की ममता की है मतवाली,
मेहरा हमेशा करती है हम सब पे मेहरो वाली,
अरे माँ के दर से कोई सवाली कभी न खाली जाता,
मैया को मनाता चल भगता,
शेरसवारी लगती प्यारी माँ का रूप निराला,
आओ भक्तो भर भर पी लो मस्ती का तुम प्याला
सच्ची शरदा जो भी रखता दर्शन वो ही पाता,
मैया को मनाता चल भगता,