तेरे दर पे आने के मैया दो बहाने है,
कुछ शिकवे करने है कुछ दर्द सुनाने है,
गिरा हुआ हु दुखो से तुम ने सार न जानी है,
घाव गहरे पीड़ा हारी आँख से झलका पानी है,
कितनी आहे कितने आंसू तुम्हे गिनाने है,
कुछ शिकवे करने है कुछ दर्द सुनाने है,
सार है तुम को मैया तेरा दर ही मेरा ठिकाना है,
हाल दिल का तेरे सिवा किसको और सुनाना है,
सुख भी सारे दुःख भी सारे तुम्हे बताने है,
कुछ शिकवे करने है कुछ दर्द सुनाने है,
करने है जो सिकवे तुझसे सागर लिख के लाया है,
कहना कुछ भी रह न जाये मन में सोच के आया है,
क्या है पाया काया है खोया हिसाब दिखाने है,
कुछ शिकवे करने है कुछ दर्द सुनाने है,