अबके नवराते मैया मैं द्वार जो आउंगी,
हलवा और पूरी का माँ भोग लगाऊ गी,
लाल चुनरी माँ लेके प्रेम से तुझे माँ चड़ाउ,
बैठ आंचल की छाओ सदा तेरे गुण गाउ,
झूम झूम मैं नाच नाच के तुम्हे मनाऊ गी,
हलवा और पूरी का माँ भोग लगाऊ गी,
तुहि माँ शेरावाली,तू ही माँ मेहरो वाली,
कही पे माँ तू शारदा कही पे बन जाती काली,
नव दुर्गा के नो दिन में भी दर्शन पाउगी,
हलवा और पूरी का माँ भोग लगाऊ गी,
जिस ने माँ का गुण गाय बिना मांगे सब पाया,
ध्यान माँ का जो लगाते वो विजय पा ही जाते,
विजेता के संग भजनो में मैं खो जाउंगी,
हलवा और पूरी का माँ भोग लगाऊ गी,