सुनते हो श्याम सब की सुनलो जरा हमारी,
सुनलो जरा हमारी इक आस है तुम्हारी,
हम भी शरण है तेरी करदो दया बिहारी,
अश्को से घुट पी के जख्मो को अपने सित्ते,
जीवन ये यूही बीते विपदा पड़ी है बाहरी,
सुनते हो श्याम सब की सुनलो जरा हमारी,
कह ती है सारी दुनिया के कहा तेरा कन्हियाँ,
मझधार में है नइयाँ करदो मदत हमारी,
सुनते हो श्याम सब की सुनलो जरा हमारी,
हारे के तुम सहारे हम तो है बेसहारे,
आये है तेरे द्वारे विशवाश की है बारी,
सुनते हो श्याम सब की सुनलो जरा हमारी,
मोहित कहे कन्हाई पकड़ो मेरी कलहाई,
इतनी सी है दुहाई करदो नजर तुम्हारी,
सुनते हो श्याम सब की सुनलो जरा हमारी,