मैं जीत नही मांगू मुझे हार दे देना,
क्या करू किनारे का मजधार दे देना,
अक्षर देखा मैंने जब तूफ़ान आता है,
तेरे सेवक का बाबा मनवा गबराता है॥
रो रो के कहता है मुझे पार कर देना,
क्या करू किनारे का ...........
मजधार में हो बेटा तू देख ना पाता है,
लेके हाथ में हाथ उसे पार लगाता है,
तेरा काम है हारी हुई बाजी को बदल देना,
क्या करू किनारे का .......
नैया को किनारे कर उसे छोड़ जाता तू,
रहता वो किनारे पे वापिस नही आता तू,
मस्ती में वो रहता फिर क्या लेना देना,
क्या करू किनारे का ............
मझदार में हम दोनों एक साथ साथ होंगे,
कहता है श्याम तेरा हाथो में हाथ होंगे,
ना किनारे हो नैया मुझको वो दर देना
क्या करू किनारे का........