कैसी किस्मत हमारी लिखी प्रभु,
चाहत खुशियों की थी पर गम मिल गया,
जगमगा ती हु कल की चांदनी,
देखते देखते अब सब ढल गया,
कैसी किस्मत हमारी लिखी प्रभु
थोड़ा लाचार था मैं परेशान था,
दुनिया समझी नहीं मेरे हालत को,
सारे वेह्शी नजर आ रहे है मुझे,
कैसे समजाओ मैं अपने जज्बात को,
मैं तड़प ता रहा मैं सिसक ता रहा,
जखम सीने में ऐसा वो कर गया,
कैसी किस्मत हमारी लिखी प्रभु
अब ना चाहत तमना की मुझे,
तेरे चरणों में रहने की ख्वाइश मेरी,
अपने चरणों की धूलि बना लो मुझे,
मेरी जन्नत भी तू मेरा दाता भी तू,
संजीव दर का जब से है कुत्ता बना,
देख ते देख ये जग हिल गया,
कैसी किस्मत हमारी लिखी प्रभु