राजीव लोचन राम आज अपने घर आए ।
कण कण पुलकित, पुरजन हर्षित,
राम लकहन सिया जान मन भाए ॥
नाचे किन्नर नाग बदूटी,
बार बार कुसुमांजलि छूटी ।
हे जग पावन, मुनि मन भावन,
असीसो भाजस बरनी न जाए ॥
राजीव लोचन राम आज अपने घर आए...
नगर गाँव सब बजत बधाएं,
नर नारीन मिल मंगल गायें ।
सूचि सरजू जल, कल कल छल छल,
मचल मचल रघुवर गुण गाए ॥
राजीव लोचन राम आज अपने घर आए...
हरछित जहां तहाँ दाई दासी,
आनंद मगन सकल पुर वासी ।
लिए आरती मंगल थारी,
कनक बसन उपहार लुटाए ॥
राजीव लोचन राम आज अपने घर आए...