के काम होगा वही जिसे चाहोगे राम,
अपने स्वामी को सेवक क्या समजाये गा
सागर में तैर रही पत्थर ये सारे,
इन में वसे है श्री राम हमारे,
वही डूब गये पत्थर नहीं जिस में राम,
अपने स्वामी को सेवक क्या समजाये गा
लंका जलाये छोटा सा बानर,
असुरो को मार दिया पार कियाँ सागर,
बड़ी महिमा है नाम की तुम्हारे हे राम,
अपने स्वामी को सेवक क्या समजाये गा
हां भगति में कहे हनुमान जी,
तो सीने से अपने लगाए है राम जी,
भगत तुम सा नहीं कोई बोले है राम,
अपने स्वामी को सेवक क्या समजाये गा