इक राम का नाम ही बन्दे, संग तुम्हारे जायेगा:-
इक राम का नाम ही बन्दे,
संग तुम्हारे जायेगा,
इस धरा का इस धरा पे,
सब धरा रह जायेगा,
इक राम का नाम ही--------।।
झूठे बंधन झूठे रिश्ते,
माया मोह की नगरी में,
साँस टूटी और रिश्ता टूटा,
कोई काम न आयेगा,
इक राम का नाम ही---------।।
पंचतत्व की कंचन काया,
मिट्टी ही होनी है इकदिन,
मुट्ठी बांधे आया जग में,
हाँथ पसारे जायेगा,
इक राम का नाम ही----------।।
राम नाम कलिकाल कल्पतरु,
भर ले झोली सुमिरन से,
चार लाखि चौरासी भव से,
बस सुमिरन पार लगायेगा,
इक राम का नाम ही--------।।
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी