मैया थारो रूप मन भायो जियो हरषायो,
कुन माहरी मियां ने सजायो,
बनड़ी सी लागे माहरी माँ सोहनी सोहनी लागे माहरी माँ,
मैया थारो रूप मन भायो जियो हरषायो,
सिंधुरी थारो रूप चमके कुण्डल काना माहि धमके,
चूडा और चुड़ला हाथा में घनके,
सोनो सोनो तिलक लगाया और सूरमो घलायो,
कुन माहरी मियां ने सजायो,
बनड़ी सी लागे माहरी माँ सोहनी सोहनी लागे माहरी माँ,
खूब खिलो है चुनड़ी को रंग,
मोर मोरिया तारा है संग देखे है जो भी रह जावे वो तो धंग
मोटा मोटा गजरा पहनायो छटर लटकायो,
कुन माहरी मियां ने सजायो,
बनड़ी सी लागे माहरी माँ सोहनी सोहनी लागे माहरी माँ,
रजत झडत माँ तेरा दरबार अद्भुत है सजियो शृंगार,
गोरिया में गूंजे माँ थारी जय जय कार,
बिनु जो भी दर्शन पायो के दुखडो भुलायो,
कुन माहरी मियां ने सजायो,
बनड़ी सी लागे माहरी माँ सोहनी सोहनी लागे माहरी माँ,