भोले नाथ चले गोरा रानी को बिहाणे

भोले नाथ चले गोरा रानी को बिहाणे,
मस्ती में आज लगे डमरू बजाने,

भोले नाथ ने खेल रचाया , नंदी गण को बैल बनाएं,
ना भोले ने गेहणा पहना ,  ना ही सर पर मुकुट सजाया,
सारे तन पर भस्म रमाया , झोली को कांदे लटकाया ,
गले में सर्पों की माला , बुड्ढा बाबा बन कर आया,
लंबी लंबी दाढ़ी को , लगा वो खुज लाने,
भोले नाथ चले .........

कैसा दूल्हा कैसे साथी ,नंग मलंग है सभी बराती,
ना कोई रथ ना कोई पालकी , ना संग लाए घोड़े हाथी,
अरे नाचे गाये उड़ाये माटी , हाथ में पकड़े डंडे लाठी,
अरे घोट-घोट भांग है पीते , खाए धतूरा भर भर भाटी,
भोले नाथ चले ...........

जब गोरा की सखियां आई  , देख दूल्हा वो घबराई ,
दौड़ी दौड़ी गई महल को  , जाके सारी बात सुनाई,
बात सुनी गोरा मुस्काई  , यह सारे जग का साईं,
यह सब भोले की माया , तुम माया को समझ ना पाई,
वह तो आए मेरे कर्मों को चमकाने ...

भोले नाथ चले गोरा रानी को बिहाणे ,
मस्ती में आज लगे डमरु बजाने ,

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