क़िस्मत बुलंद रातों रात हो गयी,
सारे कहते है के करामात हो गई,
जबसे तेरी मेरी मुलाक़ात हो गई,
सारे कहते है के करामात हो गई,
इक वो ज़माना था थॉर न ठिकाना था,
देखते ही मुझे आँखे फेर ता ज़माना था,
किस्मत भुलंद रातो रात हो गई,
सारे कहते है के करामात हो गई,
सँवारे सलोने श्याम झूम झूम जाऊ मैं,
तूने क्या दिया है मुझे कैसे ये बताऊ मैं,
खुशियों की कैसे बरसात हो गई,
सारे कहते है के करामात हो गई,
लेहरी दियां तो तुझे कभी न भुलाऊ गा,
ज़िंदगी ये सारी तेरी सेवा में बिताऊ गा,
आँखों ही आँखों में अपनी बात हो गई,
सारे कहते है के करामात हो गई,