गिरधर मेरे मौसम आया,
धरती के शृंगार का,
अरे आया सावन पड़ गए झूले बरसे रंग बहार का,
गिरधर मेरे मौसम आया.....
ग्वाल बाल संग गोपियाँ राधा जी आई,
आज तुम्हे कहो कौन सी कुब्जा भरमाई,
मिलन की चाह में तुम्हारी राह में,
विशाये पलके बैठी है तुम्हारी याद सताती है,
गिरधर मेरे मौसम आया
घुमड़ घुमड़ काली घटा शोर मचती है,
स्वागत में तेरे संवारा जल बरसाती है,
कोयलियन कुक टी मयूरी झूमती,
तुम्हारे बिन मुझको मोहन बहारे फीकी लगती है,
गिरधर मेरे मौसम आया.....
ग्वाल बाल संग गोपियाँ राधा जी आई,
आज तुम्हे कहो कौन सी कुब्जा भरमाई,
मिलन की चाह में तुम्हारी राह में,
विशाये पलके बैठी है तुम्हारी याद सताती है,
गिरधर मेरे मौसम आया........
राधा जी के संग में झूलो मनमोहन,
छेड़ रसीली बांसुरी शीतल हो तन मन,
बजाओ बांसुरी खिले मन की कलि,
मग्न नंदू ब्रिज की बाला तुम्हे झूला झूलती है,
गिरधर मेरे मौसम आया........