डम डम डमरू भाजे शंकर जी कैलाश विराजे,
संग में अम्ब भवानी नाचे,
ॐ नमः शिवाये,
बड़े भोले है अपने भगतो के लिये अपनी किरपा के खजाने सदा खोले है,
जग के स्वामी है गले मुंडो की है माला हर विष धार काला काला,
अन्तर्यामी है जग के स्वामी है,
चंदा सोहे माथे ऊपर जटा जुट है बंधा शीश पर जिस पर बहती गंगा झर झर
ॐ नमः शिवाये......
वही जल जाये भस्मा सुर ने माँगा जिसे हाथ में धरु वो ही जल जाये,
बात पुरनी है बड़े दानी है,
दियां उस को वर ऐसा कोई नहीं देगा जैसा ोहगडदानी है,
वो वरदान चला अजमाने शंकर जी को लगा भगाने,
विष्णु आये उन्हें बचाने,
ॐ नमः शिवाये,