नर से नारी बने जब भोलेनाथ जी

नर से नारी बने जब भोलेनाथ जी

नर से, नारी बने, जब भोलेनाथ जी ।
रूप उनका, बनाना, गज़ब हो गया ।
चुपके चुपके से, निधिवन, महारास में ।
भोले बाबा का, जाना, गज़ब हो गया ॥

लाल साड़ी, चमकती, पहन रात में ।
और बालों की, लट को, संभाले हुए ।
माथे बिंदी, और चूड़ी, सजी हाथ में ।
नाक सोने की, नथनी को, डाले हुए ।
उल्टे पल्लू का, घूंघट, निकाले हुए ।
उसे चेहरा, छुपाना, गज़ब हो गया...
नर से, नारी बने, जब भोलेनाथ...

होंठ लाली, कमर में, है तगड़ी कसी ।
आंख कज़रारी, कारी, लगे हमनशी ।
ऐसी सूरत, सुहानी, लगे शम्भु की ।
जिसने देखी, उसी के, है मन में बसी ।
मोहिनी मूरत, मेरे दिल में, है वस गई ।
रूप शिव का, बसाना, गज़ब हो गया...
नर से, नारी बने, जब भोलेनाथ...

छोटे छोटे से, कदमों से, चलने लगे ।
आज, पड़ी डगरिया, गोकुल धाम की ।
देख मोहिनी, अदा लोग, हो गए फ़िदा ।
बल खाती, कमरिया, भोले नाथ की ।
आज, पहुंचे हैं नगरी, श्री श्याम की ।
पहुंच कर, मुस्कुराना, गज़ब हो गया...
नर से, नारी बने, जब भोलेनाथ...

हुई शुरुआत, जैसे, महाँ रास की ।
धुन मुरली की, पर भोले, थिरकने लगे ।
भूले सुध बुध, ही अपनी, भोले नाथ जी ।
फिर, सर से, है साड़ी, सरकने लगी ।
आंख, मोहन की, तब कुछ, फड़कने लगी ।
फिर वहां, पकड़े जाना, गज़ब हो गया...
नर से, नारी बने, जब भोलेनाथ...

अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल

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