मेरी माता रानी ने ऐसा कर्म कमाया है,
मुझ जैसे पापी को दरबार भुलाया है
ना खाब में सोचा था मुझे चिठ्ठी आएगी,
लेकिन मेरी माता ने मुझे द्वार भुलाया है,
कुदरत है यहाँ झुकती बड़ा अजब नजारा है,
माँ शेरोवाली की बड़ी अजब ये माया है
मैंने देखा है इस दर पे हर वर्शर दीवाना है,
चेहरों की रंगत ने क्या नूर चढ़ाया है
बड़ा कर्म किया मुझपे इस करमो वाली ने,
तेरी रमज को लेकर मैं कभी समज न पाया है,
मेरी माता रानी ने ऐसा कर्म कामया है