नई चुनरी ल्य्याऊगी माँ ने फेर उढ़ाउगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी,
हे कीर्तन में जाऊँगी मैं सत्संग में जाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी......
लाग्गे जग तै है न्यारी माँ की सूरत है प्यारी,
लगा के हलवा पूरी भोग चूड़ियाँ चढ़ाऊँगी,
चूड़ियाँ चढ़ाऊँगी चूड़ियाँ चढ़ाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी,
हे कीर्तन में जाऊँगी मैं सत्संग में जाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी…...
भजन के मीठे मीठे बोल बाजे मंजीरे और ढोल,
मैं तो होके मगन नाचूं संग में सखियाँ नचाऊँगी,
संग में सखियाँ नचाऊँगी मैं तो खुद भी नाचूंगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी,
हे कीर्तन में जाऊँगी मैं सत्संग में जाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी…..
मन की सारी पूरी कर दे झोली खुशियाँ की तू भर दे,
तन मन लगा तेरे चरणों में तेरे गुण गाऊँगी,
तेरे गुण गाऊँगी तेरे गुण गाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी,
हे कीर्तन में जाऊँगी मैं सत्संग में जाऊँगी,
दामण 52 गज का पहर कीर्तन में जाऊँगी…...