रेहमतो को तेरी गुरु जी कैसे भूल जाऊ मैं,
शुक्र मनाऊ तेरा शुक्र मनाऊ मैं,
उपकार तेरे गुरु जी गिन भी ना पाउ मैं,
शुक्र मनाऊ तेरा शुक्र मनाऊ मैं,
सुख में भी दुःख में भी साथ निभाया है,
हम चाहे भूले पर तूने न भुलाया है,
महिमा अपार तेरी दिन रात गाउ मैं,
शुक्र मनाऊ तेरा शुक्र मनाऊ मैं,
तू ही तो यकीन मेरा तू ही तो विश्वाश है
तुजसे ही ज़िंदगी में हर ख़ुशी की रात है,
चरणों में तेरे गुरु जी सिर को झुकाउ मैं,
शुक्र मनाऊ तेरा शुक्र मनाऊ मैं,