राधे कभी बनेगा तो समजेगा सँवारे,
रोते है क्यों विरहा में ये नैन वनवारे,
राधे कभी बनेगा तो समजेगा सँवारे,
तू किसी को दिल से चाहे तेरा दिल वो तोड़ जाये,
छलिया तुझे भी कोई राहो में छोड़ जाये,
क्या बीत ती है दिल पे जो प्रीतम दगा करे
राधे कभी बनेगा तो समजेगा सँवारे,
चुब्ते है शूल बन कर क्यों फूल पाँव में,
लगता नहीं है मन क्यों अपने गांव में
क्यों चाहता है जीके कोई बात न करे,
राधे कभी बनेगा तो समजेगा सँवारे,
एक युग सा गुजर ता है इक पल जुदाई वाला,
उस पल की पीड़ तू क्या जाने ओह नन्द लाला,
जिसे तू न भूल पाये वो तुझे याद न करे,
राधे कभी बनेगा तो समजेगा सँवारे,