ना ही राम के तीर का ना रावण की मुश् का,
सारा खेल तमाशा से इक बानर की पूंछ का,
राजा राम की घरवाली रावण लेकर भगाया जी
राम तेरा कुछ कर न स्का रोवन पीटन लगाया सी,
पता लगा कर यु वानर आया नाचता कूद ता,
सारा खेल तमाशा से इक वणार की पूंछ का,
देव मरोड़ी मूंछ पे लंका पे अभिमान करा,
पूंछ से लंका वाल गई इक पल में श्मशान करा ,
काबर का सा खेल करा आया से यो झूमता,
सारा खेल तमाशा से इक वणार की पूंछ का,
वान जद लगा लक्ष्मण के सारा देखन लागया सी,
पूंछ हिला कर यो बानर पर्वत लेकर आ गया जी,
वरना प्रभु श्री राम का आंसू कभी न सुख ता,
सारा खेल तमाशा से इक वणार की पूंछ का,
इतनी सी रामायण है पता पड़ा जो जावन से,
वनवारी सब काम पड़े वानर का गुण गावन से,
हनुमान ने समज गया वरना मैं डूब ता,
सारा खेल तमाशा से इक वणार की पूंछ का,