कावड़ियों का मेला आया उन भगता ने रंग जमाया,
बम बम बम बम हो रही भोले नाथ की है ये माया,
डमरू वाले शिव शंकर की मस्ती का रंग छा गया,
सावन का महीना आ गया ओ मस्त महीना आ गया,
शिव जटा से गंगा निकली गंगा से पावन कुछ न
महीना सावन है भोले का इस से मन भावन कुछ न,
कैलाश पे भाजे शिव का डमरू मन में नजारा भा गया ,
सावन का महीना आ गया ओ मस्त महीना आ गया,
गंगा दर्शन करने दुनिया सावन में चली आवे से,
जल चढ़ा के भगता की टोली कंधे कावड़ उठावे से,
टांग कावड़ ले जावे गबरू कांधे कवाड़ उठा लिया
सावन का महीना आ गया ओ मस्त महीना आ गया,
कमल सिंह शिव किरपा होजा पड़ पड़ फूटे शाले,
हरिद्वार में न्यारी देखे भगत हरयाणा वाले,
हर हर गंगे बोल बोल के काम कार भी न गया,
सावन का महीना आ गया ओ मस्त महीना आ गया,